Shodashi - An Overview
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क्षीरोदन्वत्सुकन्या करिवरविनुता नित्यपुष्टाक्ष गेहा ।
Several fantastic beings have worshipped aspects of Shodashi. The nice sage, Sri Ramakrishna, worshiped Kali during his complete lifetime, and at its culmination, he compensated homage to Shodashi as a result of his have spouse, Sri Sarada Devi. This illustrates his greatness in observing the divine in all beings, and especially his life partner.
आर्त-त्राण-परायणैररि-कुल-प्रध्वंसिभिः संवृतं
सर्वानन्द-मयेन मध्य-विलसच्छ्री-विनदुनाऽलङ्कृतम् ।
The apply of Shodashi Sadhana is often a journey in the direction of both of those enjoyment and moksha, reflecting the twin character of her blessings.
लक्ष्मीशादि-पदैर्युतेन महता मञ्चेन संशोभितं
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, here हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
सेव्यं गुप्त-तराभिरष्ट-कमले सङ्क्षोभकाख्ये सदा ।
रविताक्ष्येन्दुकन्दर्पैः शङ्करानलविष्णुभिः ॥३॥
मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।
Goddess Lalita is worshipped by means of different rituals and methods, including visiting her temples, attending darshans and jagratas, and executing Sadhana for both of those worldly pleasures and liberation. Each Mahavidya, including Lalita, has a specific Yantra and Mantra for worship.
शस्त्रैरस्त्र-चयैश्च चाप-निवहैरत्युग्र-तेजो-भरैः ।
Outside of curiosity why her father didn't invite her, Sati went for the ceremony Though God Shiva tried warning her.
॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥